भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई झड़प के बाद दिल्ली-मुंबई हाईवे को लेकर काफी चर्चा होने लगी। कहा गया कि इस प्रस्तावित रेल रूट पर 5.6 किलोमीटर लंबे अंडरग्राउंड हिस्से को बनाने के लिए चीन की कंपनी को टेंडर दिया गया है। सोशल मीडिया में इसके खिलाफ आवाज उठने लगी। इसके बाद केंद्र सरकार ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि अभी तक इस काम को लेकर टेंडर फाइनल नहीं किया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया, 'यह स्पष्ट है कि इसका निर्माण एडीबी के फंड से होगा। इसके तहत टीबीएम और एक आरआरटीएस स्टेशन से गुजरने वाले 5.6 किमी लंबे सुरंग के डिजाइन और निर्माण का काम होगा। पिछले साल नौ नवंबर को इसके लिए टेंडर मांगे गए थे, जिसे तकनीक रूप से 16 मार्च को खोला गया।'
इस प्रोजेक्ट के लिए पांच कंपनी ने टेंडर दिया। उनमें SKEC (कोरिया) और Tata, STEC (चीन), L&T (भारत), Afcons (भारत) और GulermakAgir (तुर्की) शामिल हैं। STEC (चीन) ने सबसे सस्ता टेंडर दिया है। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि अभी तक टेंडर को फाइनल नहीं किया गया
है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि एडीबी या विश्व बैंक या बहु-पार्श्व खरीद दिशानिर्देश फर्म या देश के बीच भेदभाव की अनुमति नहीं देते हैं।
आपको बता दें कि दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल के पहले चरण न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद तक अंडरग्राउंड काम करने को लेकर चीन की कंपनी को टेंडर देने की खबर आई थी। इसको लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान पर सवाल उठाया था।
चीन के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद देश में चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। इस घटना के बाद देश में एक बार फिर चीनी सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस बीच स्वदेशी जागरण मंच ने केन्द्र सरकार से अपील की है कि चीनी कम्पनियों को भारत मे टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया जाय, चीनी सामानों पर रोक लगाया जाय व किसी भी प्रकार से चीनी सामानों को भारत मे आने से रोका जाय। इसके साथ ही मंच ने लोगों से भी चीनी सामानों का बहिष्कार करने की अपील की है।
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